बुधवार, 6 मई 2020

श्रीमद्भागवत महापुराण स्कंध 4 अध्याय 8, ध्रुव का वन गमन

#श्रीमद्भागवतमहापुराण स्कंध 4 अध्याय 8, #ध्रुव का #वनगमन, #स्वायंभुव मनु #पुत्र के #वंश का #वर्णन की कथा सुनिए by पंडित प्रदीप पांडेय https://youtu.be/kUbSCSzojJU
#श्रीहरि के अंश से उत्पन्न हुए पवित्र कीर्ति #महाराज स्वयंभू #मनु के पुत्रों के #वंश का वर्णन करता महारानी #शतरूपा और उनके पति #स्वयंभू मनु से #प्रियव्रत और #उत्तानपाद नाम के दो पुत्र हुए भगवान #वासुदेव की कला से उत्पन्न होने के कारण यह दोनों #संसार की रक्षा में तत्पर रहते थे! #उत्तानपाद के सुनीति और सुरुचि नाम की दो #पत्नियां थी उनमें #सुरुचि राजा को अधिक प्रिय थी, #सुनीति जिसका पुत्र ध्रुव था उन्हें वैसी प्रिय नहीं थी । एक दिन राजा #उत्तानपाद सुरुचि के पुत्र उत्तम को #गोद में बिठाकर प्यार कर रहे थे। उसी समय ध्रुव ने #गोद में बैठना चाहा परंतु #राजा ने उनका स्वागत नहीं किया ।।उसी समय घमंड से भरी हुई #सुरुचि ने अपनी सौत के पुत्र ध्रुव को #महाराज की गोद में आने का यत्न करते देख उनके सामने ही उससे डाह भरे शब्दों में कहा बच्चे तू #राज सिंहासन पर बैठने का #अधिकारी नहीं है तू भी राजा का #बेटा ही है इससे क्या हुआ तुझको मैंने तो अपनी #कोख में नहीं धारण किया तू अभी #नादान है तुझे पता नहीं है कि तूने किसी दूसरी #स्त्री के गर्भ से जन्म लिया है तभी तो ऐसे दुर्लभ विषय की इच्छा कर रहा है यदि तुझे राज #सिंहासन की इच्छा है तो #तपस्या करके परम पूज्य श्री नारायण की #आराधना कर और उनकी कृपा से मेरे #गर्भ में आकर जन्म ले। #ध्रुव को यह बातें बहुत खराब लगी और वह रोते हुए अपनी मां #सुनीति के पास पहुंचा सारा हाल बताया लेकिन उसकी मा ने कहा उसने ठीक ही कहा तू #भगवान श्री हरि के चरणों की #पूजा कर वहीं से तेरा भला होगा और उसी समय #सुनीति और ध्रुव मा बेटे राजमहल छोड़कर बाहर चले गए। वहा नारद जी की ध्रुव से भेट हुई ।#नारद जी ने श्री हरि के मिलने का सारा सदुपदेश दिया। फिर #ध्रुव ने नारद के उपदेश की तरह ही भगवान का स्मरण किया जिससे भगवान श्री #हरि के दर्शन हुए। #कृष्ण #विष्णु #भक्ति #ज्ञानवर्धक #कथाएं #Entertainment #religious #spiritual #story #धार्मिक #हरिभक्त #कृष्णभक्त



श्रीमद्भागवत महापुराण स्कंध 4 अध्याय 9, ध्रुव का वर पाकर घर लौटना

#श्रीमद्भागवतमहापुराण स्कंध 4 अध्याय 9, #ध्रुव को #श्रीकृष्णा द्वारा #वर पाकर घर लौटना, भगवान #विष्णु का साक्षात दर्शन करके उनसे वर पाना, पिता राजा #उत्तानपाद द्वारा #राजसिंहासन पर #बैठाना की कथा सुनिए by पंडित प्रदीप पांडेय https://youtu.be/OAmykeVhKTY
#प्रभु का दर्शन पाकर बालक #ध्रुव को बढ़ा कुतूहल हुआ। वह प्रेम में अधीर हो गए उन्होंने #पृथ्वी पर दंड के सामान लूट कर उन्हें प्रणाम किया। वे हाथ जोड़े #प्रभु के सामने खड़े थे और उनकी #स्तुति करना चाहते थे परंतु किस प्रकार करें यह नहीं जानते थे सर्व अंतर्यामी #हरी उनके मन की बात जान गए उन्होंने कृपा पूर्वक अपने वेदमय #शंख को उनके गाल से छुआ दिया #ध्रुव जी भविष्य में #अविचल पद प्राप्त करने वाले थे। इस समय संख का स्पर्श होते ही उन्हें वेद मई दिव्य #वाणी प्राप्त हो गई और जीव तथा #ब्रह्म के स्वरूप का भी निश्चय हो गया।
ध्रुवजी ने इस प्रकार स्तुति की तब
#भक्तवत्सल भगवान उनकी प्रशंसा करते हुए कहने लगे #उत्तमव्रत का पालन करने वाले #राजकुमार मैं तेरे हृदय का संकल्प जानता हूं यद्यपि उस पद का प्राप्त होना बहुत कठिन है तो भी मैं तुझे वह देता हूं। तेरा #कल्याण हो।
भद्र ! तेजो मैं
#अविनाशी लोक को आज तक किसी ने प्राप्त नहीं किया जिसके चारों ओर #ग्रह नक्षत्र और तारागण रूप #ज्योतिष चक्र उसी प्रकार चक्कर काटता है जिस प्रकार में #मेढिकी की चारों ओर #दंवरी के #बैल घूमते रहते हैं अवांतर कल्प पर्यंत रहने वाले अन्य लोगों का #नाश हो जाने पर भी जो स्थिर रहता है तथा #तारागण के सहित #धर्म अग्नि #कश्यप और #शुक्र नक्षत्र एवं #सप्तर्षि गण जिसकी #प्रदक्षिणा किया करते हैं वह वह #ध्रुवलोक मैं तुझे देता हूं। #कृष्ण #विष्णु #शिव #भक्ति #ज्ञानवर्धक #कथाएं #धार्मिक #Entertainment #Religious #Spiritual #story #श्रीकृष्णा #हरिभक्ति