बुधवार, 6 मई 2020

श्रीमद्भागवत महापुराण स्कंध 4 अध्याय 9, ध्रुव का वर पाकर घर लौटना

#श्रीमद्भागवतमहापुराण स्कंध 4 अध्याय 9, #ध्रुव को #श्रीकृष्णा द्वारा #वर पाकर घर लौटना, भगवान #विष्णु का साक्षात दर्शन करके उनसे वर पाना, पिता राजा #उत्तानपाद द्वारा #राजसिंहासन पर #बैठाना की कथा सुनिए by पंडित प्रदीप पांडेय https://youtu.be/OAmykeVhKTY
#प्रभु का दर्शन पाकर बालक #ध्रुव को बढ़ा कुतूहल हुआ। वह प्रेम में अधीर हो गए उन्होंने #पृथ्वी पर दंड के सामान लूट कर उन्हें प्रणाम किया। वे हाथ जोड़े #प्रभु के सामने खड़े थे और उनकी #स्तुति करना चाहते थे परंतु किस प्रकार करें यह नहीं जानते थे सर्व अंतर्यामी #हरी उनके मन की बात जान गए उन्होंने कृपा पूर्वक अपने वेदमय #शंख को उनके गाल से छुआ दिया #ध्रुव जी भविष्य में #अविचल पद प्राप्त करने वाले थे। इस समय संख का स्पर्श होते ही उन्हें वेद मई दिव्य #वाणी प्राप्त हो गई और जीव तथा #ब्रह्म के स्वरूप का भी निश्चय हो गया।
ध्रुवजी ने इस प्रकार स्तुति की तब
#भक्तवत्सल भगवान उनकी प्रशंसा करते हुए कहने लगे #उत्तमव्रत का पालन करने वाले #राजकुमार मैं तेरे हृदय का संकल्प जानता हूं यद्यपि उस पद का प्राप्त होना बहुत कठिन है तो भी मैं तुझे वह देता हूं। तेरा #कल्याण हो।
भद्र ! तेजो मैं
#अविनाशी लोक को आज तक किसी ने प्राप्त नहीं किया जिसके चारों ओर #ग्रह नक्षत्र और तारागण रूप #ज्योतिष चक्र उसी प्रकार चक्कर काटता है जिस प्रकार में #मेढिकी की चारों ओर #दंवरी के #बैल घूमते रहते हैं अवांतर कल्प पर्यंत रहने वाले अन्य लोगों का #नाश हो जाने पर भी जो स्थिर रहता है तथा #तारागण के सहित #धर्म अग्नि #कश्यप और #शुक्र नक्षत्र एवं #सप्तर्षि गण जिसकी #प्रदक्षिणा किया करते हैं वह वह #ध्रुवलोक मैं तुझे देता हूं। #कृष्ण #विष्णु #शिव #भक्ति #ज्ञानवर्धक #कथाएं #धार्मिक #Entertainment #Religious #Spiritual #story #श्रीकृष्णा #हरिभक्ति



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